लोगों की राय

लेखक:

डॉ. गजेन्द्र सिंह परमार

डॉ. गजेन्द्र सिंह परमार
माता : श्रीमती सावित्री देवी
पिता : श्री भंवर सिंह परमार
पत्नी : श्रीमती राजदुलारी परमार
जन्म : 31 अक्टूबर 1955 मंगलवार शरद पूर्णिमा, नुन्हाटा, भिण्ड।
शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, राजनीति शास्त्र, इतिहास पी-एच.डी. (हिन्दी)
सम्प्रति :
प्राचार्य-जय महाकाल डिग्री कालेज,
अकोड़ा, भिण्ड (म.प्र.)
विशेष :
पूर्व प्राचार्य श्री मुन्नालाल अग्रवाल उ.मा.वि. भिण्ड (म.प्र.)
सम्पर्क सूत्र :
8720863846, 9977068061
प्रकाशित : अशोक वाटिका, द्वीपों का दर्द (संग्रह), विभीषण, शोध आलेख आदि।
अप्रकाशित : निर्वासन (खण्ड काव्य), सागर मंथन (गद्यालेख), ज्योतिकलश (छन्द संग्रह), अवसान गीत (गीत संग्रह), डूबते उतराते (कहानी संग्रह)।

पद्य विधा की पुरानी परम्पराओं को जीवन्त बनाये रखने का सराहनीय प्रयास। छन्द-पाठ की बुलन्दी के लिए सम्मानित।
किसी बाद से न जुडना, किसी खेमे में न रहना, साहित्यिक संस्थाओं के किसी पद पर न रहकर एकाकी चलना। सजी-संवरी सुन्दर शैली में हिन्दी और आंचलिक भाषा के शब्दों का सुन्दर-सटीक सामंजस्य। सच्चे शब्द-शिल्पी। अध्ययन और चिन्तन मनन की मौलिकता मानव मन को छू लेने वाली आत्मभूति। आधुनिक भाव-बोध के प्रखर रचनाकार। शब्द शिल्प आपके काव्य का मूल प्राण और आधुनिक परिवेश की साहसी सच्चाइयों का शाब्दिक-स्फोट-सहज, सरल, सरस और सुन्दर। व्यक्तित्व और कृतित्व की साफ गोई युक्त गरिमा से साहित्य-समाज के गौरव। पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों, संग्रह-ग्रन्थों, राष्ट्रीय शोध संगोष्ठियों, साहित्यकार सम्मेलन, शोध ग्रन्थों आदि में भिण्ड जिले की साहित्यिक परम्परा और प्रगतिशील लेखों में प्रमुखता से उल्लेख।

दैत्य वंश महाकाव्य

डॉ. गजेन्द्र सिंह परमार

मूल्य: $ 19.95

दैत्य वंश महाकाव्य

  आगे...

 

   1 पुस्तकें हैं|